अपह्रत जवान को छुड़ाने दंतेवाड़ा रवाना हुए सामाजिक कार्यकर्ता सोरी और पत्रकार
नक्सलियों ने जारी की जवान की तस्वीर, कहा -जवान राकेश्वर सिंह सुरक्षित है
नई दिल्ली। शनिवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में लापता सीआरपीएफ कमांडो राकेश्वर सिंह को छुड़ाने की कोशिशें जारी हैं। राकेश्वर सिंह के नक्सलियों के कब्जे में होने की खबर है। आज जम्मू में राकेश्वर के घरवालों और सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया और सरकार से मांग की कि अभिनंदन की तरह ही राकेश्वर को भी जल्द रिहा करवाया जाए।
वहीं छत्तीसगढ़ में भी जवान की रिहाई के लिए प्रयास तेज हो गए है। कोबरा बटालियन के अपह्रत जवान राकेश्वर सिंह को छुड़ाने स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और पत्रकार दंतेवाड़ा रवाना हो गए हैं। दल नक्सलियों से जवान को छोड़े जाने की अपील करेगा। दल में जेल बंदी रिहाई समिति के सदस्य और स्थानीय पत्रकार शामिल हैं। इसके अलावा बस्तर में युवा भी अपह्रत जवान को रिहा करने की मांग को लेकर एकजुट हुए हैं। जगदलपुर के बस्तरिया बैक बेंचर्स संस्था के युवाओं ने मंगलवार शाम जवान को रिहा करने हस्ताक्षर अभियान चलाया है। इस अभियान में एक हजार से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर कर नक्सलियों से जवान को बिना नुकसान पहुंचाए उसे निशर्त रिहा करने की मांग की है।
परिवार वालों ने जाम किया जम्मू-पुंछ हाईवे
राकेश्वर सिंह के नक्सलियों के पास होने के खुलासे के बाद अब उनका परिवार गुस्से में है। राकेश्वर के परिवार वालों ने आज जम्मू-पुंछ हाईवे जाम कर दिया। परिजन पिछले पांच दिनों से राकेश्वर का इंतजार कर रहे हैं। उनके परिवार वालों के लिए यह खबर जहां राहत देने वाली थी, वहीं इस मामले पर सरकार की चुप्पी ने परिवार का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ा दिया है।
वहीं बीजापुर के स्थानीय पत्रकार के दावे के बाद अब उनके परिवार का आरोप है कि सरकार इस बाबत अभी कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। उनके परिवार का कहना है कि अगर पाकिस्तान से अभिनंदन को भारत सरकार जल्द रिहा करवा सकती है तो राकेश्वर सिंह के मामले में देरी क्यों हो रही है?
बता दें कि नक्सली हमले के बाद से लापता राकेश्वर को लेकर स्थानीय पत्रकार गणेश मिश्रा ने बड़ा दावा किया। पत्रकार ने बताया है कि नक्सलियों ने उनसे संपर्क करके कहा है कि जवान को गोली लगी है और मेडिकल ट्रीटमेंट दिया गया है। हम दो दिन में जवान को छोड़ देंगे। ज्ञातव्य है कि इस हमले में 22 जवान शहीद हुए थे।