गाँधी पथ स्थित सीपीआई कार्यालय जयप्रकाश भवन में वामदलों की बैठक आयोजित हुई। भाकपा माले के कुंदन कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक एटक,सीटू,ऐक्टू सहित अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत अखिल भारतीय आम हड़ताल को सफल बनाने को लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया।
भाकपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओमप्रकाश नारायण ने कहा कि मोदी सरकार पूरी तरह कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के चक्कर में देश के तमाम नवरत्नों बैंक,बीमा और पेट्रोलियम पदार्थों को निजी हाथों में देकर मजदूरों को मजदूरी, किसानों को खेती और युवाओं के नौकरी को संकट में डाल कर रख दिया है।
सीपीएम राज्य सचिव मंडल सदस्य विनोद कुमार और भाकपा माले ज़िला सचिव ललन यादव ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार स्कीम वर्करों के साथ अन्यान्य कर रही है। श्रम कानूनों को खत्म किया जा रहा है ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार और मजदूरों को अपनी माँगो को लेकर हड़ताल करने के अधिकार को नेस्तनाबूद करने पर तुली हुई हैं।
मजदूर विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ 26 नवंबर को रोड-रेल,बैंक सहित सभी सरकारी कार्यालय को बंद रखा जाएगा। बैठक में सीपीआई ज़िला सचिव विजय कुमार यादव,एटक जिलामंत्री प्रभुलाल दास, कृष्णा प्रसाद साह, परमानंद ठाकुर, उमेश चौधरी, अजित सिंह, माकपा नेता कुलानंद यादव, सीटू नेता दुखी शर्मा,माले नेता विक्की राम, संतोष राम, प्रमोद साह, मनरेगा मजदूर सभा ज़िला सचिव रमेश शर्मा,बमभोली सादा सहित अन्य मौजूद थे।
संयुक्त फोरम ने कहा, ‘‘26 नवंबर की अखिल भारतीय हड़ताल के लिये तैयारियां जोरों पर हैं। हम उम्मीद करते हैं कि 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी इस बार हड़ताल में हिस्सा लेंगे।’’
इस बीच, भाजपा से संबंधित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने स्पष्ट किया है कि वह इस हड़ताल में भाग नहीं लेगा। मंगलवार को जारी एक बयान में बीएमएस ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि बीएमएस और इसकी इकाइयां 26 नवंबर 2020 को राजनीतिक रूप से प्रेरित हड़ताल में भाग नहीं लेंगी।’’
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने यहां आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में 26 नवंबर 2020 को देशव्यापी आम हड़ताल की तैयारियों के बारे में संतोष व्यक्त किया। केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कई स्वतंत्र फेडरेशनों और एसोसिएशनों ने भी उस दिन हड़ताल का नोटिस दिया है।